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Ch 1

Ch 1

महाराष्ट्र, मुंबई सेशन कोर्ट,

इस वक्त कोर्टरूम में अफरा-तफरी मची हुई थी। जज अपनी कुर्सी पर बैठा था, और एक आदमी, जिसने काले रंग का कोट पहन रखा था, दो आदमियों से किसी बात पर बहस कर रहा था। कोर्टरूम में एक लड़की भी मौजूद थी, जो अपनी जगह पर शांत बैठी हुई थी। उसने भी ब्लैक कोट पहना हुआ था और उसके अंदर सफेद रंग की साड़ी थी। उसके बाल जुड़े में बंधे थे और सिर झुका हुआ था, इसलिए उसका चेहरा स्पष्ट नहीं दिख रहा था।

तभी अचानक कोर्ट का माहौल थोड़ा बदल गया। ठंडक-सी फैल गई और गेट की दिशा में हलचल होने लगी। उस लड़की ने अब भी अपना चेहरा नहीं उठाया, लेकिन बाकी सभी ने उस दिशा में देखा। वहाँ से एक शख्स confidence भरे कदमों के साथ कोर्टरूम में दाख़िल हुआ। उसने पीले रंग की शर्ट पहन रखी थी, जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे और आस्तीनें कोहनी तक मोड़ी गई थीं। उसके बाल करीने से सजे हुए थे। नीचे काली पैंट थी, जिसे लेदर बेल्ट से कसकर बाँधा गया था।

उसके दाएं हाथ में एक सिल्वर कड़ा था और उसी हाथ की रिंग फिंगर में एक अंगूठी थी, जो हल्की-हल्की चमक रही थी। उसके बाएं कान में काले रंग की एक छोटी-सी बाली थी, जिसने उसके लुक को और भी कातिलाना बना दिया था। वह बेहद हैंडसम लग रहा था! इतना कि कोई भी लड़की उसकी मौजूदगी को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती थी। उसका चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ था, फिर भी उसके चेहरे पर एक अलग-सी शांति थी।

उसके पीछे कई लोग काले फॉर्मल सूट में हाथों में gun लिए चल रहे थे। देखने से वे उसके बॉडीगार्ड्स लग रहे थे। वह काले कोट वाला आदमी सीधे उस ओर बढ़ा, जहाँ वह वकील दो लोगों से बहस कर रहा था। तेज़ी से उसके पास पहुँचते हुए बोला,

"एकलव्य सर!"

इस शख्स का नाम था एकलव्य रेड्डी, मलाड का एमएलए! और उसका ऑरा वाकई डेंजरस था।

एकलव्य ने अपने वकील की ओर देखा और पूछा, "वकील साहिबा कहाँ हैं, जो मेरे खिलाफ लड़ने वाली हैं?"

उसी पल एक लड़की की आवाज़ गूंजी, "यहीं पर हैं... ज़रा नज़र घुमाइए और देखिए, आपकी जनता आपके सामने बैठी हुई है।"

एकलव्य ने जैसे ही सुना, उसकी नजर उस लड़की पर गई। वही लड़की, जिसने सफेद साड़ी पहन रखी थी और जुड़ा बनाया हुआ था। उसका सिर अब भी झुका हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे उसने सिर उठाया और एकलव्य की ओर देखा।

उसकी आँखों पर नजर का चश्मा था, कानों में सोने की पतली बालियाँ, गले में एक पतली सी सोने की चेन और होठों पर न्यूड शेड की लिपस्टिक! बाकी कोई मेकअप नहीं।

एकलव्य ने अपने हाथ सीने पर बाँधते हुए कहा, "तो आप हैं वकील साहिबा?"

वो लड़की टेबल पर दोनों हाथ रखकर सहारा लेते हुए उठी, और एकलव्य की तरह ही अपने हाथ सीने पर बाँधते हुए बोली, "नहीं, मैं आपकी वकील साहिबा नहीं हूं... आपके तो वकील साहब हैं। मैं तो आपकी अपोनेंट हूं।"

एकलव्य हल्का मुस्कुराया, चेहरा थोड़ा झुकाया और बोला, "बिलकुल... अब तो केस लड़ने में और भी मज़ा आएगा, वकील साहिबा।"

लड़की ने तुरंत जवाब दिया, "बिलकुल, बहुत मज़ा आएगा! लेकिन आपको बहुत जल्द एक बड़ी सज़ा मिलने वाली है।"

इसके बाद उसने अपना चश्मा थोड़ा ठीक किया, वापस अपनी सीट पर बैठ गई और कागज़ों पर कुछ लिखने लगी।

एकलव्य ने थोड़ा सा सोचते हुए कहा, "मुझे यह वकील साहिबा नई लगती हैं।"

उसके वकील शर्मा ने जवाब दिया, "जी, यह इनका दूसरा केस है। Miss Jeevika Joshi नाम है।"

उस लड़की ने, जिसका नाम जीविका था, बिना सिर उठाए शांत लेकिन सख्त लहजे में कहा, "Correct yourself, Mr. Sharma. I’m Advocate Jeevika Joshi. Advocate! mark my words."

इसके बाद वह फिर से अपनी फाइलें देखने लगी।

तभी दूसरा जज कोर्ट में दाखिल हुए और बोले, "सभी लोग अपनी-अपनी सीट पर बैठ जाएं।"

एकलव्य जाकर अपनी सीट पर बैठ गया।

जज ने आगे कहा, "शर्मा जी, केस शुरू कीजिए।"

शर्मा जी खड़े हुए और बोले, "देखिए, वैसे तो इस केस का कोई खास आधार नहीं बनता। यह बात मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं। लेकिन Jeevika Joshi जी की तसल्ली के लिए मैं यह केस लड़ रहा हूं।"

तभी जीविका ने टोका, "Advocate Jeevika Joshi! कितनी बार करेक्ट करना पड़ेगा आपको?"

शर्मा ने एक लंबी सांस ली और कहा, "I’m sorry."

जज बोले, "Proceed. केस क्या है, जीविका जी?"

जीविका आत्मविश्वास के साथ खड़ी हुई और बोली, "My Lord, मेरी क्लाइंट के साथ *रेप* अटेम्प्ट हुआ है। और यह अटेम्प्ट Eklavya Reddy ने किया है। हैरानी की बात यह है कि Advocate Sharma इसे एक 'छोटी बात' मानते हैं। क्या एक *रेप* अटेम्प्ट आपको मामूली लगता है?"

उसने आगे कहा, "वो तो उसकी किस्मत थी जो वह बचकर भाग निकली। और उसमें हिम्मत थी कि उसने MLA के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई! वरना कौन जानता, आज तक क्या-क्या होता?"

इतना कहकर उसने एकलव्य की तरफ तीखी नजर डाली, लेकिन एकलव्य की नजरें उससे टकराई तक नहीं।

जज ने पूछा, "कोई प्रूफ है आपके पास?"

जीविका ने कहा, "Of course. मेरी क्लाइंट और उसकी फैमिली इस वक्त कोर्ट में मौजूद हैं।"

उसने पीछे पलटकर उस लड़की की तरफ इशारा किया, जिसने सादी-सी कुर्ती पहन रखी थी, "पलक, बताओ सबको।"

पलक खड़ी हुई और बोली, "गुड मॉर्निंग सर। Advocate Jeevika बिल्कुल सही कह रही हैं। उस दिन मैं बहुत मुश्किल से अपनी जान बचाकर आई थी। 4-5 लोगों ने मुझे घेर लिया था... मेरे तो कपड़े भी...", वो रुक गई, उसकी आँखें भर आई थीं।

जीविका ने उसे शांत रहने का इशारा किया, फिर जज की तरफ मुड़कर बोली, "अब बताइए, मिस्टर शर्मा, क्या इस केस को यूं ही जाने देना चाहिए?"

शर्मा मुस्कुराए और बोले, "Advocate Jeevika Joshi, इस बार नाम सही लिया है। लेकिन एक बात बताइए! क्या सिर्फ गवाही देने से केस साबित हो जाता है? कोर्ट सबूत मांगता है। आपके पास क्या सबूत है कि उस वक्त Eklavya Reddy वहाँ मौजूद थे?"

फिर शर्मा जज की तरफ मुड़े और बोले, "मेरे पास सबूत है, माई लॉर्ड। उस समय एकलव्य रेड्डी एक पॉलिटिकल पार्टी के कार्यक्रम में मौजूद थे। जल्द ही मुख्यमंत्री चुनाव होने वाले हैं, और ऐसे वक़्त में एक जिम्मेदार नेता इस तरह की हरकत नहीं कर सकता।।और एकलव्य रेड्डी का बैकग्राउंड भी हमारे सामने है। उनके पिता महाराष्ट्र के एक प्रतिष्ठित मुख्यमंत्री रहे हैं। मुझे लगता है यह केस आधारहीन है या फिर किसी पर्सनल दुश्मनी के चलते दर्ज कराया गया है। शायद हम जिस इंसान की बात कर रहे हैं, वो कोई और था।"

जीविका ने अपनी जगह से खड़े होकर ठोस आवाज़ में कहा, "मैं कोई पर्सनल दुश्मनी से केस नहीं लड़ती, शर्मा जी। दुश्मनी बाहर होती है... कोर्टरूम में सिर्फ और सिर्फ इंसाफ होता है।"

शर्मा जी ने तीखी मुस्कान के साथ जवाब दिया, "तो मैं भी वही कर रहा हूं। अपने क्लाइंट को इंसाफ दिलाने की कोशिश। लेकिन सच तो ये है कि या तो आप झूठ बोल रही हैं, या फिर आपके पास कोई प्रॉपर प्रूफ नहीं है जिससे ये साबित हो सके कि उस वक्त Eklavya Reddy उस ‘*रेप*-स्पॉट’ पर मौजूद थे।"

जीविका कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी जज ने हस्तक्षेप किया,

"Miss Jeevika, अगर आपके पास सबूत नहीं हैं तो आप इस तरीके से केस को आगे नहीं बढ़ा सकतीं। आपको प्रूफ लाने होंगे कि असल में Eklavya Reddy ने ही *रेप* अटेम्प्ट किया है।"

फिर उन्होंने थोड़ी नरमी से कहा, "आप हमारे होनहार एडवोकेट्स में से एक हैं। इतनी कम उम्र में इतने बड़े केस को संभाल रही हैं, यह काबिल-ए-तारीफ है। पर इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। यह एक सामान्य केस नहीं, एक पॉलिटिकल लीडर का मामला है। और हमें इसे जल्द से जल्द सुलझाना होगा। अगली सुनवाई एक हफ्ते बाद होगी। तब तक के लिए कोर्ट स्थगित किया जाता है।"

जज साहब उठे और कोर्टरूम से बाहर चले गए।

जीविका गुस्से से कांप रही थी, "बट हियरिंग एक हफ्ते बाद क्यों?"

वह चीखी, "मेरे पास सबूत हैं! लड़की खुद कह रही है कि उस पर *रेप* अटेम्प्ट हुआ और करने वाला Eklavya Reddy था। फिर सुनवाई टालने का क्या मतलब?"

जज जाते जाते रुककर बोले, "गवाही एक बात है, लेकिन ठोस सबूत दूसरी। वैसे भी आपकी क्लाइंट खुलकर कुछ कह नहीं पा रही है। उन्हें थोड़ा शांत होने दीजिए, और कहिए कि अगली सुनवाई में अपनी बात साफ-साफ और पूरे कोर्टरूम के सामने रखें। कोई उन्हें जज नहीं करेगा। यह *रेप* का मामला है, हम इसे हल्के में नहीं ले सकते।"

इसके बाद कोर्ट स्थगित हुआ और सभी लोग उठकर जाने लगे।

जीविका का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उसका मन कर रहा था कि किसी चीज़ पर अपना गुस्सा निकाल दे। एकलव्य खड़ा हुआ, अपनी शर्ट के बटन ठीक किए और बेहद ठंडे अंदाज़ में ठीक जीविका के सामने से निकलते हुए बाहर चला गया। जीविका की मुठ्ठियां गुस्से में भींच गईं।

कोर्ट के बाहर एकलव्य को मीडिया ने घेर लिया।

"सर, आप सेशन कोर्ट में क्यों थे? क्या सीएम की कुर्सी के लिए कोई अड़चन आ रही है?" एक रिपोर्टर ने पूछा।

दूसरे ने जोड़ा, "सर, सुनने में आया है कि आप पर *रेप* अटेम्प्ट का आरोप लगा है। क्या यह सच है? क्या आपको इसलिए कोर्ट बुलाया गया था?"

यह सुनकर एकलव्य की जबड़े की मांसपेशियां तन गईं। बिना कुछ कहे, उसने इशारा किया और उसके बॉडीगार्ड सागर ने मीडिया को हटाया। एकलव्य ने काला चश्मा चढ़ाया और अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया।

वो दरवाज़ा खोलने ही वाला था कि उसने देखा, जीविका अपनी कार की ओर आ रही थी।

वो कुछ सेकंड के लिए रुका, फिर धीमे लेकिन तीखे लहजे में आवाज़ लगाई, "वकील साहिबा..."

जीविका ने गुस्से में अपने कदमों को आगे बढ़ाया और गाड़ी के हैंडल को मजबूती से पकड़ लिया। उसका चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ था। उसने अपना काला कोट उतारकर एक हाथ में टांग रखा था। तभी उसकी पीठ पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई,

"वकील साहिबा..."

उसके कदम ठिठक गए। उसने धीरे से चेहरा घुमाया।

एकलव्य अपनी चाल में ठहराव और ठसक लिए उसके करीब आता चला आया। उसकी आंखों में एक अजीब सी ठंडक और चालाकी थी।

वो बेहद पास आकर रुका और कहा, "पहली मुलाकात भी क्या मुलाकात हुई ना हमारी..."

जीविका ने बिना झिझके जवाब दिया, "एक लॉयर और एक गुनहगार की मुलाकात अक्सर ऐसी ही होती है।"

एकलव्य मुस्कराया, "पहली बात तो ये कि मैं गुनहगार हूं नहीं... और हां, थोड़ा संभल कर रहिए, पता नहीं कब क्या हो जाए। सुनने में आया है, एक मां हैं आपकी... और एक छोटा सा भाई भी।"

जैसे ही ये सुना, जीविका ने उसकी ओर उंगली उठाते हुए कहा,

"एमएलए साहब! आपकी लड़ाई मेरे साथ है। अगर मेरे परिवार को कुछ भी हुआ तो याद रखिएगा! मुझे इस प्रोफेशनल लड़ाई को पर्सनल बनाने में एक पल नहीं लगेगा। जीविका जोशी नाम है मेरा, इस नाम को अपने दिमाग, दिल और शरीर में बसा लीजिए। मैं कोई कच्ची खिलाड़ी नहीं हूं कि आप धमकी दें और मैं पीछे हट जाऊं। आपको सलाखों के पीछे पहुंचाकर ही दम लूंगी।"

वो अपनी बात पूरी कर गाड़ी का दरवाज़ा खोलने लगी ही थी कि तभी एकलव्य ने उसकी कलाई थाम ली और दरवाज़ा बंद करते हुए उसे उसी की गाड़ी से सटा दिया। दूसरी कलाई भी उसने अपने मजबूत हाथों में कस ली।

"क्या बदतमीज़ी है ये?" जीविका ने हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए गुस्से में कहा, "आप एक लॉयर को इस तरह हैरेस नहीं कर सकते!"

एकलव्य और भी पास आ गया। उसकी सांसें अब जीविका की सांसों से टकराने लगीं।

"Jeevika ji..." वह धीमे, मगर सख्त लहजे में बोला, "मैं क्या कर सकता हूं और क्या नहीं, इसका अंदाज़ा आपको है नहीं। और लगाने की कोशिश भी मत करिए। सात जन्म लग जाएंगे लेकिन एकलव्य रेड्डी को समझ पाना नामुमकिन है। जितना हो सके, इस केस से दूर रहिए... समझीं?"

उसने अपनी गहरी, ठंडी काली आंखों से जीविका की नीली आंखों में देखा। दोनों की आंखें कुछ पल एक-दूसरे में अटक गईं। कुछ अनकहा और अनसुलझा पल।

लेकिन तभी जीविका ने अचानक उसे जोर से धक्का दिया और चीखी, "आप मेरे अपोनेंट हैं, उसी तरह रहिए! मेरी परवाह करने की जरूरत नहीं है। मैं अपनी परवाह खुद करना जानती हूं!"

वो गाड़ी में बैठी और गाड़ी स्टार्ट कर वहां से निकल गई।

एकलव्य वहीं खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा। फिर उसने अपनी आंखों पर चश्मा चढ़ाया, अपनी गाड़ी में बैठा और ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी...

वहीं दूसरी ओर शहर के एक दो-मंज़िला घर की ऊपरी मंज़िल पर, एक कमरे में जिसकी दीवारें, परदे और कुशन्स सब गुलाबी रंग में रंगे थे। बेड पर नींद में डूबी एक लड़की पड़ी थी। कमरे का पंखा हल्का-हल्का घूम रहा था, और लड़की का चेहरा कंबल में छुपा हुआ था।

पर उसकी आवाज़ कमरे में गूंज रही थी,

"मेरा हीरो आ गया... मेरा रॉकस्टार आ गया... I love you, hero... I love you... I love you... I love you..."

वह करवट बदलते हुए सपनों में खोई थी। और तभी धड़ाम! एक ज़ोरदार आवाज़ के साथ वो सीधा नीचे ज़मीन पर जा गिरी। उसके साथ ही पूरा कंबल और बेडशीट भी उस पर आ गिरी।

"आउच!!" उसके मुंह से तेज़ चीख निकली। कमर सीधी ज़मीन से टकराई थी।

तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और उसकी माँ अंदर आईं।

"सत्यानाश हो तेरा! ये लड़की ना नींद में भी बड़बड़ाती है और उठती भी बड़बड़ाते हुए है!" वो बड़बड़ाती हुई आगे बढ़ीं।

कंबल के अंदर से लड़की की आवाज़ आई, "अरे... पहले अपनी बेटी को उठाओ तो सही..."

माँ ने कंबल खींचा। लड़की ने एक हाथ बाहर निकाला। माँ ने उसे खींच कर खड़ा किया।

"तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या?"

लड़की ने बालों को झटक कर चेहरा ऊपर किया। बेहद मासूम और प्यारा चेहरा, होंठों के किनारे एक छोटा सा दिल का तिल... नींद की खुमारी के बावजूद उसकी स्माइल में गज़ब की ब्राइटनेस थी।

"माँ! आपको पता है आज क्या हुआ?" वो चहकते हुए बोली, "मेरा रॉकस्टार मुझे... लिप्स पर किस करने ही वाला था... बहुत शिद्दत से... लेकिन मैं गिर गई! और सपना टूट गया!"

माँ ने माथा पीट लिया, "मुझे लगता है अब तुझे तेरा रॉकस्टार ढूंढ कर शादी करवा देनी चाहिए। तभी चैन मिलेगा तुझे!"

लड़की ने माँ के गले लगते हुए कहा, "आप कितनी अच्छी हो ना माँ! मेरी शादी उसी रॉकस्टार से करवाओ... लेकिन मैंने तो कभी उसे ठीक से देखा ही नहीं..."

"क्योंकि वो समझदार है। और तू... एकदम से पगली!" माँ ने मुस्कराते हुए कहा।

"चल अब ओजस, कॉलेज जाना है तुझे... मैं तेरे लिए सैंडविच बना रही हूँ।"

जैसे ही ओजस ने ये सुना, उसने प्यार से माँ के गाल पर एक किस किया और खुशी-खुशी वॉशरूम की तरफ भाग गई।

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आधा घंटा बाद, ओजस अपनी स्कूटी लेकर कॉलेज पहुंची। जैसे ही उसने स्कूटी पार्क की, उसे अहसास हुआ कि कोई उसे घूर रहा है। उसने नज़र घुमाई, सिक्योरिटी गार्ड उसे अजीब नज़रों से देख रहा था।

"ऐसे क्या देख रहे हो भैया?" उसने मुस्कराते हुए पूछा।

गार्ड ने सिर हिलाते हुए कहा, "ओजस... तू ठीक है ना?"

"मैं? बिल्कुल फिट एंड फाइन!" वो हंसते हुए बोली।

गार्ड कुछ सोचते हुए बोला, "लगता है अब तेरा दिमाग पागल होने वाला है... अंदर ध्यान से जाना।"

ओजस उसकी बात सुनकर थोड़ा चौंकी, "ये क्या बक रहा है यार!"

मन ही मन बड़बड़ाते हुए, कंधे उचकाकर वह कैंपस के भीतर चली गई। जहाँ कुछ अलग ही उसका इंतज़ार कर रहा था...

जैसे ही ओजस कॉलेज कैंपस में दाखिल हुई, उसे कुछ अजीब महसूस हुआ। चारों तरफ छोटे-छोटे ग्रुप्स में स्टूडेंट्स खड़े थे, कोई हँस रहा था, कोई हैरान दिख रहा था, और सबकी निगाहें… उसकी ओर मुड़ी थीं।

"क्या चल रहा है यहाँ?" उसने मन ही मन सोचा और शांत चाल से आगे बढ़ने लगी।

तभी पीछे से किसी ने उसका कंधा थपथपाया।

"ओ हेलो मैडम..." एक जानी-पहचानी आवाज़ थी।

ओजस मुड़ी, पायल थी, उसकी नई बनी दोस्त।

"क्या चल रहा है तेरी लाइफ में? कैसी रही तेरी फर्स्ट किस?" पायल ने आँख मारते हुए पूछा।

ओजस के चेहरे पर पहले हैरानी, फिर झुंझलाहट आई।

"क्या?? मेरी तो सपने में भी फर्स्ट किस पूरी नहीं हो पाई! और मम्मी ने सपना तोड़ दिया! तू किस की बात कर रही है यार?"

पायल थोड़ा ड्रामाटिक होते हुए बोली, "अरे सपना नहीं, रियल लाइफ की बात कर रही हूँ। पूरे कॉलेज में चर्चा हो रहा है तेरी और तेरे बॉयफ्रेंड की फर्स्ट किस का। तूने कल कॉलेज के बाहर उसे किस किया था ना?"

ओजस के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई, "What?! कौन बॉयफ्रेंड? कहाँ की किस? मैं तो कल शाम को मम्मी के साथ सब्ज़ी लेने गई थी! ये सब हो क्या रहा है?"

पायल ने कहा, "अरे तू छुपा रही है ना! देख, अभी हम बेस्ट फ्रेंड्स नहीं हैं, पर इतना तो बता ही सकती थी कि बॉयफ्रेंड बना लिया तूने!"

ओजस ने माथा पकड़ लिया, "यार पायल, मेरी कोई किस नहीं हुई, ना कोई बॉयफ्रेंड है। किसने ये बेवकूफी फैलाई?"

पायल ने कहा, "कोई कह रहा था कि तेरी और उस लड़के की किस हुई थी… और अब सब जगह वही बात घूम रही है।"

ओजस गुस्से से आगबबूला हो गई, "कौन है ये उस लड़का? उसका नाम बता! हिम्मत कैसे हुई मेरा नाम घसीटने की? किसी ने एक अफवाह फैलाई और तूने मान भी लिया? मैं छोड़ूंगी नहीं उस साले चु*या को। मैं उसकी ऐसी क्लास लूंगी ना कि अगली बार किसी लड़की का नाम लेने से पहले वो दस बार सोचेगा!"

तभी उसके मोबाइल में एक मेसेज आया। क्लास ग्रुप में एक वीडियो वायरल हो रहा था।

वीडियो में एक फ्रेम! हल्की सी झलक, बहुत ही फेमस चेहरा, ब्लैक चश्मा और… ओजस जैसी दिखने वाली एक लड़की!

वीडियो में किसी ने पीछे से रिकॉर्ड किया था। एक फेमस कार के पास एक लड़की और एक लड़का बेहद क्लोज़ खड़े थे। एंगल ऐसा था कि सबको लगे वो दोनों… किस करने वाले थे।

"ये क्या बकवास है... ये मैं नहीं हूँ! ये... ये..."

उसका दिल धड़कने लगा। ज़ूम किया, वो लड़का... वो चेहरा... वो अंदाज़...

"अर्जुन रेड्डी...?!"

कहानी अब एक खतरनाक मोड़ पर है।

क्या ये सिर्फ एक अफवाह है? या किसी ने जान-बूझकर ओजस का नाम किसी से जोड़ा है? कौन है ये अर्जुन? और एकलव्य, जिस पर पहले ही Attempted Rape का आरोप है! क्या वो खुद को प्रूफ कर पायेगा?

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