सामूहिक विवाह का वह मैरिज हॉल, जहां कुछ देर पहले ही गोलियों की आतिशबाजी हुई थी, अब बिल्कुल शांत हो गया था। एक शख्स, जिसका बदन बिल्कुल घटिला था, अफसाना के सामने आकर खड़ा हो गया और उसकी कलाई थाम ली। अफसाना की सांसें ऊपर-नीचे हो रही थीं, उसे देखकर। ऊपर से उसका वह डरावना लुक, उसके काले कपड़े, और उसका ढका हुआ चेहरा, अफसाना को और भी ज्यादा डराने पर मजबूर कर रहे थे।
तभी अचानक उस आदमी ने घूरती नजरों से पूरे मैरिज हॉल को देखा और एक तरह से ऐलान करते हुए कहा, "पंडित, अगली शादी हमारी होगी।"
जैसे ही उसने यह कहा, पीछे से एक आवाज आई, "क्या बकवास है! अफसाना जी की शादी मेरे साथ हो रही है। उनकी शादी मेरे साथ होगी!"
आवाज सुनते ही वह आदमी पलटा और अपने पीछे देखने लगा। एक लड़का, दूल्हे के लिबास में खड़ा था। वह पक्का वही लड़का था, जिससे अफसाना की शादी होने वाली थी। उसकी शेरवानी पर टैग नंबर भी लिखा हुआ था। तभी अफसाना के पेरेंट्स भी वहां आ गए और घबराए हुए बोले, "यह सब क्या हो रहा है?"
फिर उन्होंने अपनी बेटी का हाथ एक अनजान आदमी के हाथ में देखा और पूछा, "अफसाना, यह सब क्या है? कौन है यह आदमी?"
अफसाना अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश नहीं कर रही थी क्योंकि वह तो बिल्कुल जड़ हो गई थी। लेकिन जैसे ही उसने अपने मां-बाप की आवाज सुनी, उसने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की और बोली, "पापा, मैं नहीं जानती इसे! पता नहीं, यह कौन है!"
अचानक वह आदमी आगे बढ़ा और ठंडे लहजे में बोला, "मैं इसके साथ शादी करूंगा।"
अफसाना ने घबराकर कहा, "देखिए, आप जो भी हैं, प्लीज मेरा हाथ छोड़ दीजिए। आज मेरी शादी उनसे हो रही है!"
इसके बाद उसने अपने दूल्हे की तरफ देखा। मास्क में भी वह आदमी कातिलाना हैंडसम लग रहा था, जबकि उसका असली दूल्हा पानी कम चाय लग रहा था! यह देखकर ही अफसाना मन में बोली, "क्या लंगूर पति है मेरा! इससे अच्छा तो यह आदमी लग रहा है, जो मुझसे शादी करने की बात कर रहा है!"
लेकिन अगले ही पल उसने खुद को संभाला और कहा, "नहीं, नहीं, अफसाना! कैसी बातें कर रही है? तेरी शादी तो उसी से होगी, जिससे तेरे मां-बाप ने तय की है!"
इसके बाद उसने फिर से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उस आदमी की पकड़ इतनी मजबूत थी कि उसकी कलाई लाल पड़ गई। उसकी कलाई न आजाद हुई और न ही अफसाना उसे छुड़ा पाई।
अफसाना की नजर अपनी कलाई पर थी, तभी उसे अपने मां-बाप की चीख सुनाई दी। वह तुरंत उनकी ओर देखने लगी। वे डर के मारे चिल्ला रहे थे, क्योंकि अचानक से उनके सिर पर बंदूकें रख दी गई थीं!
अफसाना चीख उठी, "मम्मी! पापा!"
वह आदमी cold voice में बोला, "अगर चाहती हो कि यह मामला यहीं तक सीमित रहे और मौत तक न पहुंचे, तो शांति से शादी करो!"
अफसाना गुस्से और घबराहट से बोली, "यह अजीब जबरदस्ती है! मैं आपसे शादी क्यों करूंगी? मैं तो आपको जानती तक नहीं!"
आदमी करीब आया और हल्की हंसी के साथ बोला, "जानती तो तुम उसे भी नहीं, जिससे तुम्हारे मां-बाप ने तुम्हारी शादी तय की थी। फिर भी कर रही थी, ना? तो सोच लो, मेरी शादी ही तुम्हारे साथ तय हुई थी!"
अफसाना ने तेज आवाज में कहा, "देखो, आप जो कोई भी हैं, प्लीज मेरा हाथ छोड़ दीजिए!"
लेकिन इससे पहले कि वह कुछ और कहती, आदमी पंडित की ओर देख कर गरजा, "मंत्र पढ़ो! मुझे शादी में देरी नहीं चाहिए!"
पंडित घबरा गया था, क्योंकि उसके सिर पर भी बंदूक रखी गई थी। पूरे मैरिज हॉल को उस आदमी के लोगों ने सील कर दिया था। जितने भी दूल्हे-दुल्हन वहां मौजूद थे, चाहे उनकी शादी हो चुकी थी, बीच में अटकी थी, या अभी शुरू भी नहीं हुई थी। सब जमे हुए खड़े या बैठे थे। किसी को भी अपनी जगह से हिलने की इजाजत नहीं थी। सब जानते थे कि अगर हल्की सी भी हलचल हुई, तो वे अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे।
इसके बाद उस आदमी ने कसकर फिर से अफसाना की कलाई पकड़ ली और बोला, "चलो!"
अफसाना गुस्से से बोली, "मुझे शादी नहीं करनी आपसे!"
आदमी ने एक कुटिल मुस्कान के साथ कहा, "मेरी नजर जिस पर पड़ जाए, वह सिर्फ मेरा होता है… नहीं तो मिटा दिया जाता है! उस के पास तीसरा कोई ऑप्शन नहीं होता। और अब, अफसाना बंसल पर दृश्य सिंह चंद्रवंशी की नजर पड़ चुकी है… इसीलिए अब अफसाना बंसल, दृश्य सिंह चंद्रवंशी की हो गई है! अब शादी होगी!"
इसके बाद वह उसे खींचते हुए मंडप की तरफ ले जाने लगा…
वहीं दूसरी तरफ, पंजाब, अमृतसर,
एक लड़की के बालों की आवाज़ हवा से टकराकर सरसराहट पैदा कर रही थी। साथ ही, उसकी जूती की आवाज़ भी बार-बार ज़मीन पर पड़कर गूंज रही थी। उसकी ब्लाउज की डोरी आपस में उलझकर हल्की सी सरसराहट कर रही थी। हाथों की चूड़ियां भी एक-दूसरे से टकराकर खनक रही थीं, और कानों में पहनी बालियां हल्की-सी छन-छन की आवाज़ कर रही थीं।
उसकी गहरी, तेज़ सांसें शांत रास्ते को चीर रही थीं। उसका भारी लहंगा, जिसे संभालना उसके लिए मुश्किल हो रहा था, फिर भी वह उसे पकड़कर बार-बार पीछे देखती और तेज़ी से आगे भागती जा रही थी।
रात का अंधेरा था, जिससे उसका चेहरा साफ़ नहीं दिख रहा था। लेकिन स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी में यह साफ समझ आ रहा था कि उसने शादी का जोड़ा पहना हुआ है और वह बेहद खूबसूरत है।
वह लड़की जान बचाने के लिए दौड़ रही थी, और पीछे-पीछे दो-तीन जीप उसका पीछा कर रही थीं। उन जीपों में कुछ आदमी बैठे थे, जिनके हाथों में हथियार थे, जिससे साफ़ जाहिर था कि उनके इरादे अच्छे नहीं थे।
लड़की अपने पैरों से बस भागती जा रही थी। तभी, झाड़ियों में उसके सिर का दुपट्टा कहीं फंस गया। उसने उसे निकालने की कोशिश की, लेकिन जब वह नहीं निकला, तो उसने झुंझलाकर अपने सिर से दुपट्टा निकालकर फेंक दिया। अब वह जूतियों में भाग रही थी, लेकिन जल्द ही उसने भागते-भागते ही अपने पैरों से जूतियां उतारीं और आगे फेंक दीं। अब वह नंगे पांव दौड़ने लगी।
सड़क पर पड़ी कंकड़-पत्थर उसके पैरों में चुभ रहे थे, जिससे उसे काफी दर्द हो रहा था। कहीं-कहीं तो छोटे-छोटे घाव बन गए थे, और तलवों से खून भी निकलने लगा था। लेकिन इन सबसे बेपरवाह, वह सिर्फ अपनी जान बचाने के लिए भागती जा रही थी।
तभी, उसे आगे एक जीप नज़र आई, जो ओपन थी। यह जीप उन पीछा कर रही गाड़ियों से अलग थी। इसका साफ मतलब था कि उसमें बैठा आदमी उन लोगों से अलग था।
वह लड़की सीधे उसी जीप की ओर भागी और जीप का फ्रेम पकड़कर जोर-जोर से सांस लेने लगी।
जीप में बैठा आदमी अपने सिर झुकाए सिगरेट के कश ले रहा था। लेकिन जैसे ही उसने किसी के हांफने की आवाज़ सुनी, उसकी आंखें चौड़ी हो गईं और उसने तेजी से मुड़कर देखा।
वह आदमी देखने में बेहद हैंडसम था, लेकिन स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी में उसका चेहरा भी पूरी तरह साफ नहीं दिख रहा था। उसने इस वक्त काले रंग की पठानी सलवार पहनी हुई थी। साथ में, एक चुनरी भी साइड वाली सीट पर रखी थी, जिसे देखकर ही समझ आ रहा था कि वह शायद किसी शादी में आया था और अब वहां से निकलने की तैयारी में था…
उस आदमी ने मुड़कर देखा, तो एक लड़की, जिसका चेहरा फिलहाल नीचे झुका हुआ था, हैंडल पकड़कर तेजी से सांस ले रही थी। उसका पूरा शरीर हिल रहा था, जैसे ठंड से कांप रही हो। पंजाब में ठंड तो थी, लेकिन फिलहाल जिस हालत में वह थी, उसमें उसे ठंड का एहसास नहीं हो रहा था।
वह आदमी बोला, "कौन हो, और यहां क्या कर रही हो?"
लड़की ने बिना सिर उठाए कहा, "प्लीज, हेल्प कीजिए।"
आदमी की भौंहें ऊपर उठ गईं। उसने कहा, "हेल्प? और क्यों चाहिए तुम्हें हेल्प?"
इसके बाद उसने लड़की के लुक को गौर से देखा। वह पूरी तरह शादी के जोड़े में थी। आदमी ने अपनी जीप से उतरकर और सिगरेट फेकते हुए, दूसरी लेते हुए कहा, "शादी से भागकर आई हो?"
लड़की ने हल्के से सिर हिलाया और कहा, "क्योंकि मुझे शादी नहीं करनी। मेरे दादाजी एक गुंडे से मेरी शादी करवा रहे हैं, और मुझे गुंडे से शादी नहीं करनी!"
आदमी ने सिगरेट को होंठों में दबाते हुए कहा, "और गुंडे से शादी क्यों नहीं करनी?"
लड़की ने इस बार झटके से सिर ऊपर उठा लिया। आदमी उसके बेहद करीब आ गया था और बोला, "क्या हुआ? ऐसी क्या देख रही हो? सवाल किया है, जवाब दो।"
लड़की ने तीखी नज़रों से उसे घूरते हुए कहा, "एक गुंडे से शादी? दिमाग खराब हो गया है क्या आपका? मैं अपनी ज़िंदगी किसी गुंडे के नाम कर दूं? कभी नहीं! इसीलिए शादी से भाग गई। और प्लीज, अगर आप मेरी मदद कर सकते हैं, तो कीजिए, क्योंकि सब लोग मुझे पकड़ने के लिए मेरे पीछे पड़े हैं। बड़ी मुश्किल से पीछा छुड़ाकर भागी हूं!"
तभी उसके कानों में जीप के हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी। मतलब कि वे लोग उसके करीब पहुंच रहे थे। वह तुरंत आदमी की बाजू पकड़कर उसके पीछे छिपने की कोशिश करने लगी। आदमी इतना मजबूत था, और उसका शरीर इतना गठीला था कि छोटी-सी लड़की उसके पीछे आसानी से छुप सकती थी। बस एक दिक्कत थी, उसका लहंगा, जो शोर कर रहा था और उसकी मुश्किलें बढ़ा रहा था।
आदमी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "तुम्हारे ससुराल वाले आ गए लेने के लिए?"
लड़की ने गुस्से में कहा, "भाड़ में जाएं ससुराल वाले! और वैसे भी वे मेरे भाई हैं! आप बस इतना बताइए, मेरी मदद करेंगे या नहीं? मुझे बस रेलवे स्टेशन तक छोड़ दीजिए, वहां से कहीं भी भाग जाऊंगी, लेकिन यहां कभी नहीं आऊंगी!"
तभी जीप एकदम से वहां आकर रुकी। उसमें से कुछ आदमी उतरे। उनमें से एक आदमी ने उंगली उसकी ओर उठाई और कहा, "रिमझिम!"
लड़की, जिसका नाम रिमझिम था, धीरे-धीरे ऊपर देखी। वह उसका बड़ा भाई था। उसने कसकर उस आदमी का हाथ पकड़ लिया, लेकिन कुछ नहीं बोली और नजरें झुका लीं। उसे लगा कि शायद यह आदमी उसकी मदद करेगा।
लेकिन तभी उस आदमी ने कहा, "लिजिय अपनी बहन को। यह तो क्या है ना, मैडम अपना रास्ता भटक गई थीं, तो मैंने कहा कि रुक जाइए, आपका भाई-बंधु आते होंगे।"
रिमझिम यह सुनते ही आगबबूला होकर उसे देखने लगी और धीरे लेकिन गुस्से से बोली, "मैंने आपसे मदद मांगी थी! अगर आप मदद नहीं कर सकते, तो कम से कम मुझे उनके हवाले मत कीजिए! मैं यहां से भाग रही हूं!"
इसके बाद वह आगे की तरफ दौड़ने लगी, लेकिन तभी आदमी ने उसकी कलाई पर मजबूत पकड़ बना ली।
रिमझिम अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि वह चाहकर भी छुड़ा नहीं पा रही थी। तभी उसका भाई आगे आया और गुस्से से बोला, "उसका हाथ मुझे दे।"
आदमी ने बिना डरे जवाब दिया, "यह मुझसे कह रही है कि इसे शादी नहीं करनी, और तुम जबरदस्ती शादी क्यों करवा रहे हो? जब करनी होगी, तब कर लेगी।"
रिमझिम का भाई गुर्राया, "देख, मेरे सामने ज्यादा ऐंठ मत दिखा, ठीक है? शांति से मेरी बहन को मुझे सौंप दे!"
उस आदमी ने एकदम से रिमझिम का हाथ छोड़ दिया, और रिमझिम उसे देखने लगी। उसे समझ नहीं आया कि अचानक उसने ऐसा क्यों किया।
फिर उसने अपनी कुर्ते की बाजू को मोड़ा, अपने कुर्ते के पल्ले को एक झटके में झाड़ा, और मुस्कुराते हुए बोला, "यह तो गलत हुआ! ऐसे कैसे दे दूं? मैडम मेरे पास मदद मांगने आईं, और मैं बिना कुछ किए ही उसे तुम्हें सौंप दूं? थोड़ा तो फाइट बनता है, ना ब्रो?"
रिमझिम का भाई गुस्से से गुर्राया, "देख, फालतू के पंगे मत ले, समझा? मुझे मेरी बहन दे दे!"
वह आदमी मुस्कराते हुए बोला, "दे दूंगा, लेकिन पहले जो इन्होंने मुझसे मांगा है, उसका हिसाब तो पूरा कर लूं! डील सिंपल है, अगर मैं तुम्हारी मार से जमीन पर गिर गया, तो तुम्हारी बहन तुम्हारी। लेकिन अगर तुम सब गिर गए, तो तुम्हारी बहन मेरी!"
रिमझिम उसे हैरानी से देखते हुए बोली, "देखो, मेरे साथ फालतू के पंगे मत लो! मुझे जाने दो!"
आदमी उसकी तरफ देखते हुए मुस्कराया और कहा, "अब नहीं जाने दूंगा, डार्लिंग! अब तो लड़ाई होकर ही रहेगी। मदद मांगी है, और सामर्थ्य सिंह चंद्रवंशी का एक असूल है, अगर कोई मदद मांगता है, तो वह शिद्दत से मदद करता है। और इतनी खूबसूरत लड़की की मदद किए बिना, आखिर सामर्थ्य सिंह चंद्रवंशी पीछे कैसे रह सकता है?"
इसके बाद उसने उन सभी आदमियों को देखा, जो उसकी तरफ बढ़ रहे थे।
रिमझिम के भाई ने अपने आदमियों को सतर्क करते हुए कहा, "इस आदमी को पहले ही वार में जमीन में गाड़ दो!"
उसके सभी आदमियों ने सिर हिलाया और सामर्थ्य की तरफ बढ़ने लगे। लेकिन जैसे ही पहला आदमी समर्थ के करीब आया, उसे संभलने का मौका भी नहीं मिला। सामर्थ्य ने अपनी जेब से एक पॉकेट नाइफ निकाली और एक झटके में उसके पेट में घुमा दी।
"प्रैक्टिस करके आनी चाहिए थी!" सामर्थ्य ने कहा, और फिर उसने चाकू खींच लिया।
रिमझिम यह देख एकदम से हैरान रह गई। उसने अपने होंठों पर हाथ रख लिया, और उसकी आंखें बड़ी हो गईं।
अब लड़ाई शुरू हो चुकी थी और अभी तो खून बहना बाकी था।
एक-एक करके सब सामर्थ्य पर झपटे, लेकिन कोई उसे छू भी नहीं पाया। जिसने भी हमला किया, वो या तो ज़मीन पर गिरा या दर्द से कराहता रह गया। सामर्थ्य सिंह चंद्रवंशी के सामने कोई टिक नहीं पाया।
अब सिर्फ रिमझिम के दोनों भाई बचे थे। उनमें से एक गुस्से से बोला, "यह तेरा बॉयफ्रेंड है, जिसके साथ तू भागने के लिए घर से निकली थी?"
रिमझिम तुरंत न में सिर हिलाने को हुई, लेकिन उससे पहले सामर्थ्य ने उसकी कमर पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया और कहा, "बिल्कुल सही कहा, साले साहब! आपकी बहन से गहरा इश्क है हमें, और इश्क के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं!"
रिमझिम का भाई गुस्से से गुर्राया, "तू हमें चुनौती दे रहा है? तुझे हमारी ताकत का अंदाजा भी है? डर के मारे कुत्तों की तरह भागेगा!"
सामर्थ्य ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा और बोला, "गलत! बिल्कुल गलत! अगर तुम्हें लगता है कि तुम्हारी ताकत मुझे डरा सकती है, तो तुम बच्चे हो! मैं सामर्थ्य हूं, मेरे लिए डर नाम की कोई चीज़ नहीं होती। जिस रास्ते से मैं गुजरता हूं, वहां सिर्फ तबाही और खौफ छोड़ जाता हूं। और याद रखना, जो मुझे चुनौती देगा, उसका वजूद मिटा देना मेरे लिए बाएं हाथ का खेल है! इसे मेरी कमजोरी मत समझो, यह मेरी ताकत है!"
सामर्थ्य ने जैसे ही अपनी बात खत्म की, वहां गहरा सन्नाटा छा गया। तभी पुलिस के सायरन की आवाज गूंजने लगी।
यह सुनते ही रिमझिम के दोनों भाई घबरा गए। खुद रिमझिम भी परेशान हो गई। वह एक गुंडे की बहन थी, और इस जिंदगी से थक चुकी थी। उसे बस एक नॉर्मल लाइफ चाहिए थी। लेकिन उसे यह नहीं पता था कि जिस आदमी से वह टकराई है, वह खुद एक बहुत बड़ा गैंगस्टर है।
पुलिस की आवाज सुनकर उसके भाइयों ने समर्थ की ओर देखा और गुस्से से बोले, "अभी तो तू हमारी बहन को ले जा सकता है, लेकिन बहुत जल्द तुझे जमीन में गाड़ेंगे भी और अपनी बहन को वापस भी ले जाएंगे! याद रखना, तेरा अंत हमारे हाथों ही होगा!"
इसके बाद वे जल्दी से अपनी जीप में बैठे और वहां से निकल गए।
दरअसल, वे खुद भी पुलिस के निशाने पर थे। कुछ दिन पहले उन्होंने एक मर्डर किया था, और पुलिस उन्हें ढूंढ रही थी। अभी उनके पास अपनी बेगुनाही साबित करने के झूठे सबूत भी नहीं थे, इसलिए वे फिलहाल पुलिस के हाथ नहीं लगना चाहते थे।
रिमझिम ने उनके जाते ही गहरी सांस ली। भले ही कुछ देर पहले जो हुआ था, उसने उसे डरा दिया था, लेकिन अब वह राहत महसूस कर रही थी।
उसने सामर्थ्य की तरफ देखा और कहा, "थैंक यू सो मच! मेरी जान बचाने और इनसे पीछा छुड़ाने के लिए!"
सामर्थ्य मुस्कराया और बोला, "अभी के लिए तो छुड़ा दिया, लेकिन आगे क्या करोगी? और कहां जाओगी? किसी दोस्त या बॉयफ्रेंड के पास?"
रिमझिम फीकी हंसी के साथ बोली, "मेरे पास ऐसा कोई नहीं है... गुंडे की बहन होने का यही सबसे बड़ा दुख है। न कोई दोस्त बना, न किसी ने प्यार किया। प्यार तो मुझे पता है कि कभी नहीं मिलने वाला, लेकिन कम से कम दोस्त तो होते... पर वो भी नहीं हैं!"
सामर्थ्य की आइब्रो ऊपर चढ़ गई।
वह बोला, "तो फिर रेलवे स्टेशन जाकर क्या ताश खेलने जाओगी?"
रिमझिम हल्का मुस्कराई और बोली, "नहीं... मैं पंजाब छोड़कर कहीं और जाना चाहती थी, पर अभी तक फैसला नहीं किया कि कहां जाऊं और कहां नहीं। कोई ठिकाना नहीं है मेरे पास। अपने घर के अलावा कभी कहीं नहीं रही। पहली बार हिम्मत करके घर से भागी हूं... और थैंक यू सो मच, once again अंजान के लिए ही सही, लेकिन मेरी जान बचाने के लिए!"
सामर्थ्य ने हल्की हंसी के साथ कहा, "थैंक यू मुझे मत बोलो, उसे बोलना जो तुम्हें सच में बचाएगा! क्योंकि मैं तो चला जाऊंगा, लेकिन तुम्हारे भाई तुम्हें जरूर ढूंढ लेंगे!"
यह कहकर वह अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ने लगा। क्युकी वो शक की चिंगारी रिमझिम मे लगा चुका था।
तभी रिमझिम ने अचानक पीछे से पुकारा, "आपने इतनी मदद की... क्या एक और मदद कर सकते हैं?"
सामर्थ्य की आइब्रो फिर से ऊपर उठ गई। वह पलटा और बोला, "कैसी मदद?"
रिमझिम कुछ कदम आगे आई, उसकी तरफ देखा और एकदम से बोल पड़ी, "शादी करोगे मुझसे?"
अब क्या होगा? क्या सामर्थ्य रिमझिम से सच में शादी कर लेगा? क्या यह सब बस एक मजबूरी है या किस्मत की कोई अनोखी चाल? दूसरी तरफ, अफसाना खुद को दृश्य से बचा पाएगी या उसकी जिंदगी बिना इश्क के ही कैद हो जाएगी?
यह कहानी अब और भी दिलचस्प मोड़ लेने वाली है… so stsy tuned ❣️❣️❣️❣️
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