लगभग 1:30 बजे का समय था। शोर-शराबे से भरी दुनिया को छोड़कर एक सुनसान रास्ता, और इस सुनसान रास्ते पर बना एक बड़ा शिव मंदिर, जो दिन में तो चहल-पहल से भरा होता है, लेकिन रात को बिल्कुल किसी श्मशान घाट की तरह सन्नाटे में डूब जाता था।
पायलों की छन-छन लगातार गूंज रही थी, और एक लड़की की सिसकियां निकल रही थीं। उसकी चूड़ियां आपस में टकराकर बज रही थीं, उसके होंठ कुछ बुदबुदा रहे थे, "जाने दो मुझे….. मैंने कहा, जाने दो….."
तभी एक आदमी बोला, "जाने देंगे….. पहले सर को आ जाने दो। उसके बाद वही तय करेंगे कि तेरे साथ क्या करना है और क्या नहीं।"
मंदिर के पीछे कई गाड़ियां एक सर्कल बनाए खड़ी थीं। ठीक बीच में दो आदमियों ने एक 19 साल की लड़की को, जो दुल्हन के लिबास में थी, उसे अपने चंगुल में दबोच रखा था। उसकी दोनों कलाइयों को उन्होंने मजबूती से पकड़ा हुआ था, और वह बार-बार अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। उसकी चूड़ियां आपस में टकराकर आवाज कर रही थीं, पैरों को इधर-उधर करने से उसकी पायलें खनक रही थीं, और बार-बार बोलने की वजह से उसके होंठ सूख चुके थे। वह थक रही थी, जिससे उसकी सिसकियां और तेज़ हो गई थीं।
लड़की का चेहरा शांत और गोरा था, होंठ के पास एक काला तिल था जो किसी को भी मोहित कर सकता था। उसका मासूम चेहरा, लेकिन गुस्से से तमतमाया हुआ। वह लगातार खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, और उसका वह गुस्से से भरा मासूम चेहरा कार की हेडलाइट में साफ चमक रहा था।
तभी अचानक एक कार के स्पीड ब्रेक लेने की आवाज़ गूंजी, और हर कोई एकदम शांत हो गया। लड़की भी सहम गई और तुरंत अपनी गर्दन घुमा कर कार की तरफ देखने लगी। यह कार बाकी गाड़ियों के मुकाबले काफी महंगी और लग्जरी थी। ड्राइविंग सीट का दरवाजा खुला, और कोई बाहर निकला जिसने ब्लैक कलर का बिजनेस सूट पहने हुए था।
जिस आदमी ने लड़की को पकड़ा हुआ था, वह बोला, "आ गए हमारे मालिक….. अब वही तय करेंगे कि तेरे साथ क्या करना है और क्या नहीं।"
लड़की ने गुस्से से उस आदमी को घूरते हुए कहा, "हरा*जादे! पहले मेरा हाथ छोड़!"
तभी उसके पीछे से एक गहरी आवाज़ आई, "छोड़ देंगे... पहले तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में तो दे दे।"
लड़की ने चौंककर अपना चेहरा घुमाया और सामने खड़े आदमी को देखा। वह 32 साल आदमी कातिलाना हैंडसम और चार्मिंग और किसी का भी दिल चुराने वाला था। कोई भी लड़की पहली नज़र में ही उस पर मोहित हो जाती, लेकिन यहां तो हमारी कहानी की नायिका थी। भला वह इतनी आसानी से किसी के प्रति attractive हो सकती थी?
उसने गुस्से से उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "आखिर तुम्हें क्या चाहिए? मुझे क्यों रोक कर रखा है? मुझे यहां से जाना है! मंदिर में मेरा बॉयफ्रेंड मेरा इंतजार कर रहा है….. मुझे शादी…"
लेकिन इससे पहले कि वह अपनी बात पूरी कर पाती, वह आदमी धीमे कदमों से उसके करीब आया और तीखे स्वर में बोला, "बॉयफ्रेंड इंतज़ार कर रहा है तुम्हारा? वह भी शादी के लिए?"
इसके बाद उसने अपने एक आदमी को इशारा करते हुए कहा, "ज़रा मंदिर की फोटोज़ दिखाना मैडम को।"
उस आदमी ने वैसा ही किया। मंदिर में लगे कैमरों की फुटेज उसने अपने फोन पर चलाई और लड़की के सामने कर दी।
मंदिर में गहरा सन्नाटा था। वहां बस एक पंडित थे, जो दिया जला रहे थे, और उनके अलावा वहां कोई नहीं था। यह देखकर लड़की की आंखें डर और हैरानी से फैल गईं। उसने घबराकर कहा, "सम्राट….. सम्राट कहां है?"
आदमी ने तुरंत फोन छीनकर बंद किया और अपनी जेब में रखते हुए कहा, "मुझे क्या पता, कहां है? शायद आया ही नहीं।"
लड़की ने गुस्से और घबराहट से उसे घूरते हुए कहा, "बिल्कुल नहीं! ऐसा हो ही नहीं सकता! मुझे पता है कि वह आया था….. हमारी शादी…"
उसकी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि वह आदमी smirk करते हुए cold voice में बोला, "श्रावणी कुलकर्णी….. यही नाम है न तुम्हारा।"
अपना नाम सुनते ही वो लड़की स्तब्ध रह गई। उसने उसे बस घूरकर देखा और फिर चौंककर पूछा, "तुम्हें कैसे पता मेरा नाम? तुम कौन हो? और मुझे यहां अचानक से क्यों पकड़कर रखा गया है? देखो, मुझे छोड़ दो, वरना मैं पुलिस को…"
लेकिन उसकी बात फिर काटते हुए वह आदमी हंसते हुए बोला, "पुलिस? पिछले दस सालों से पुलिस मुझे ढूंढ रही है, लेकिन उनके नज़रों के सामने होते हुए भी वो मुझे नहीं पकड़ पाई। और तुम्हें लगता है कि तुम पुलिस को बुला पाओगी? बिल्कुल भी नहीं, Dearest Wifey!"
वाइफ? श्रावणी को उसके मुंह से यह सुनकर गुस्सा आ गया। उसने चिल्लाकर कहा, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे वाइफ कहने की?"
आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा, "अभी वाइफ को वाइफ नहीं बोलूंगा तो क्या बोलूंगा? वाइफ को तो वाइफ ही बोला जाता है। या फिर तुम्हें 'सोना,' 'मोना,' 'डार्लिंग' जैसे नाम पसंद हैं? लेकिन मैं इन सब चीजों में विश्वास नहीं करता। इसलिए, मेरे लिए तुम सिर्फ वाइफ हो….. बस वाइफ!"
श्रावणी गुस्से से तिलमिलाते हुए बोली, "आखिर तुम्हारी दिक्कत क्या है? और मुझे क्यों पकड़कर रखा है?"
आदमी ने cold voice में कहा, "पहले तो तमीज़ से बात करो….. मैं तुम्हारा होने वाला पति हूं। और इस दुनिया का सबसे डेंजरस माफिया और रिप्यूटेड बिजनेसमैन, मोक्ष सिंह चंद्रवंशी!"
श्रावणी का चेहरा सख्त हो गया। यह नाम उसने कई बार सुना था, लेकिन चेहरा कभी नहीं देखा था। आज उसने चेहरा भी देख लिया था, उसकी बातें भी सुन ली थीं, और उसकी हरकतो को भी महसूस कर लिया था।
वह गुस्से से बोली, "अच्छा! तो आप ही हैं हार्टलेस मोक्ष सिंह चंद्रवंशी! बहुत चर्चाएं सुनी हैं आपकी। और एक समय पर मेरे पापा आपकी कंपनी में काम भी करते थे, लेकिन आपने उन्हें निकाल दिया, अपने ego को satisfy करने के लिए! क्या उसी का बदला लेने के लिए मुझे यहां रोका हुआ है? और क्या मिल जाएगा आपको? आपने तो अपनी ego पहले ही satisfy कर ली थी, मेरे पापा को निकालकर…"
तभी अचानक मोक्ष ने एक ज़ोरदार थप्पड़ उसके चेहरे पर जड़ दिया!
श्रावणी का चेहरा एक तरफ झुक गया। उसे बिल्कुल यकीन नहीं हुआ कि मोक्ष ने उसके साथ ऐसा किया। उसके गाल पर मोक्ष की उंगलियों के लाल निशान पड़ गए थे।
मोक्ष ने अपने होठों पर उंगली रखते हुए शैतानगी से कहा, "Shhhhhh….. बहुत ज़्यादा बोलती हो! बिल्कुल अपने बाप पर गई हो….. लेकिन अफ़सोस! वह तेरा सगा बाप भी नहीं था।"
मोक्ष की बात सुनकर श्रावणी जैसे थप्पड़ भूल गई। वह सदमे में उसे देखने लगी और कांपती आवाज़ में बोली, "क्या…..? मेरे पापा…..? तुम….. तुम क्या कह रहे हो?"
मोक्ष ने क्रूरता से हंसते हुए कहा, "हां! तुम्हारे बाप ने ही तुम्हें मेरे पास भेजा है….. शादी के लिए।"
श्रावणी गुस्से से कांपते हुए बोली, "इम्पॉसिबल! उन्होंने मुझे यहां मेरे बॉयफ्रेंड सम्राट के साथ शादी करने के लिए भेजा है! न कि तुम जैसे हार्टलेस इंसान के साथ, जो लड़कियों की रिस्पेक्ट तक नहीं करता!"
मोक्ष अपनी dominating voice में बोला, "पहले मुझे भी यही लगा था कि मेरी डील के पैसे देने के लिए तुम्हारे बाप ने मुझे और मेरे आदमियों को मंदिर में बुलाया है। लेकिन जैसे ही मेरे लोग यहां पहुंचे, सच्चाई कुछ और ही निकली। मंज़र कुछ और ही था। मंदिर में पैसे नहीं थे….. वहां तुम थी! शादी के जोड़े में! जब मेरे आदमियों ने पता लगाया, तो मालूम हुआ कि मुझे धोखा दे दिया गया है। और अब तुम्हारी बातें सुनकर लग रहा है कि तुम्हारे बाप ने तुम्हें भी धोखा दे दिया। तुम्हें यह बोलकर यहां भेजा कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड तुमसे शादी करेगा….. और मुझे यह बोलकर बुलाया कि वह मेरे पैसे लौटाएगा। जबकि सच तो यह है कि वह पैसे नहीं, बल्कि तुम्हें मेरे हवाले कर गया!"
मोक्ष ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए ठंडी आवाज़ में कहा, "और मोक्ष सिंह चंद्रवंशी की आदत है….. वह कोई भी डील बिना फायदे के नहीं करता! पैसा नहीं मिला….. तो क्या हुआ? इंसान ही सही! अब जब तक पैसा नहीं निकलता, तब तक यह इंसान यहीं रहेगा! And yes, my dearest wifey! I am Heartless….. I am Super-Duper Heartless..... I am Cruel..... I am Ruthless..... I am Brutal….. but….. I AM FIRE! I AM LIBERATION! That’s why my name is MOX! मैं मोक्ष हूं! लोग मुझसे ज़िंदगी की भीख नहीं मांगते... बल्कि इस उम्मीद में जीते हैं कि शायद मैं उन्हें जिंदा छोड़ दूं! पर अफ़सोस... मैं किसी को ज़िंदगी देने के लिए नहीं, सिर्फ़ मोक्ष देने के लिए बना हूं! सिर्फ़ और सिर्फ़ मोक्ष!"
मोक्ष की आवाज़ इतनी खतरनाक थी कि गहरा सन्नाटा और भी गहरा हो गया।
श्रावणी डर से उसे देखती रह गई…!
श्रावणी को अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा ने उसके साथ इतना बड़ा धोखा किया। हाँ, यह बात सच थी कि वे उसके सगे पिता नहीं थे। वह उनके द्वारा गोद ली गई थी। जब वह बारह साल की थी, तब उसे अनाथालय से घर लाया गया था। सात साल तक वह अपने गोद लिए हुए माता-पिता के साथ रही, लेकिन आज उसे उनके प्यार का यह सिला मिला? उसे एक अमीर आदमी के हाथों बेच दिया गया, और उसे इसका पता भी नहीं चला!
वह अपने माता-पिता के प्यार और अपने बॉयफ्रेंड के मोह में इतनी अंधी हो गई थी कि बिना सोचे-समझे आधी रात को घर से शादी के लिए निकल पड़ी। लेकिन अब सच्चाई उसके सामने थी, एक कड़वी, और दिल को अंदर तक चिर देने और चुभने वाली सच्चाई।
मोक्ष ने उसकी खोई हुई आँखों को देखा और कहा, "वैसे, मुझे शादी-वादी में कोई दिलचस्पी नहीं है। लेकिन चलो, एक डील करते हैं, मेरा भी फायदा, तुम्हारा भी फायदा।"
श्रावणी ने फौरन उसकी ओर देखा और पूछा, "कैसी डील?"
मोक्ष उसके करीब आकर मुस्कराया और प्यार से उसके चेहरे पर हाथ रखते हुए कहा, "यही कि मुझसे शादी कर लो….।"
श्रावणी ने उसकी बात पूरी होने से पहले ही ठुकरा दिया और कहा, "बिल्कुल भी नहीं! तुम्हारे जैसे हार्टलेस इंसान से शादी करने से तो मैं मर जाना पसंद करूंगी!"
मोक्ष ठहाका लगाकर हँसा और अचानक रुक गया और बोला, "तो फिर जाओगी कहाँ? तुम्हारे बाप ने तुम्हें मुझे बेच दिया है, इसका मतलब है कि अब वो तुम्हें घर पर नहीं रखेगा। और रही बात तुम्हारे बॉयफ्रेंड की….." उसने एक नजर अपने आदमियों पर डाली और पूछा, "तुममें से किसने बताया था कि मैडम उसे बार-बार कॉल कर रही थीं?"
एक आदमी ने कहा, "सर, उन्होंने कई बार कॉल किया, लेकिन उधर से हर बार फोन काट दिया गया।"
मोक्ष श्रावणी की आँखों में देखता हुआ बोला, "प्यार करता है तुमसे? तो एक बार कॉल तो उठा लेता! लेकिन उसने तुम्हें इग्नोर किया। क्यों? शायद….."
श्रावणी ने तेजी से अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया।
मोक्ष की नजरों में एक अजीब सी चमक आ गई, "वैसे, एक और सरप्राइज दूँ?"
श्रावणी ने आँखें संकरी करके उसे देखा। मोक्ष की मुस्कान और गहरी हो गई। उसने अपना फोन निकाला और एक पुराना वीडियो चलाया।
श्रावणी की आँखें चौड़ी हो गईं। स्क्रीन पर उसके पिता, उसकी माँ और उसका बॉयफ्रेंड सम्राट दिखाई दे रहे थे। वे आपस में बातचीत कर रहे थे।
श्रवानी की माँ ने कहा, "हमें इसे बहलाकर शादी के लिए भेजना होगा, फिर इसका हिस्सा भी खत्म।"
श्रवानी के पिता ने कहा, "हाँ, सम्राट, तुम इसे शादी के नाम पर फंसा लो। फिर यह घर और प्रॉपर्टी हमारे नाम होगी।"
श्रवानी का boyfriend ने जवाब दिया, "कोई टेंशन नहीं, अंकल। श्रावणी को पता भी नहीं चलेगा कि यह सब पहले से प्लान था।"
श्रावणी के पैरों तले जमीन खिसक गई। सम्राट….. उसके अपने माता-पिता….. सब मिले हुए थे? उसे उसकी प्रॉपर्टी से बाहर करने के लिए?
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। उसने दर्द से भरी नजरों से मोक्ष को देखा।
मोक्ष ने फोन बंद कर दिया और उसे देखते हुए कहा, "तुम्हें सोचने के लिए आधा घंटा दे रहा हूँ। फैसला कर लो कि क्या करना है। पैसा तो मैं वैसे भी निकालवा लूँगा….. लेकिन तुम्हारा क्या होगा, यह तुम्हें तय करना है।"
उसने अपने आदमियों की तरफ देखा, "मैडम के लिए एक कुर्सी लगाओ, बैठने के लिए….. और सोचने के लिए भी।"
वह इतना कहकर अपनी कार की तरफ बढ़ गया, और श्रावणी एक टूटी हुई लकड़ी की तरह वहीं खड़ी रह गई।
मोक्ष अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ा और दरवाज़े का हैंडल पकड़ा। लेकिन इससे पहले कि वह उसे घुमा पाता, पीछे से एक नर्म लेकिन मजबूत हाथ ने उसकी कलाई पकड़ ली, जो की बेशक से श्रावणी थी। उसकी आँखों में आँसू थे, पर अब उनमें लाचारी नहीं, बल्कि कुछ और ही था, एक निर्णय, एक प्रतिज्ञा और ढेर सारा गुस्सा ।
"मैं आपसे शादी करूंगी," उसकी आवाज़ कांपी, लेकिन शब्द स्पष्ट थे और बिना मोक्ष को देखे श्रवानी ने कहा पर अब उसने अपनी नज़रे मोक्ष पर की और अपने अंदर आक्रोश लाते हुए बोली, "पर एक वादा कीजिए….. कि आप इन लोगों से बदला लेंगे। इन्होंने मेरी भावनाओं के साथ खेला। जब इन्हें मेरी जरूरत ही नहीं थी, तो इन्होंने मुझे गोद क्यों लिया?"
मोक्ष के होंठों पर टेढ़ी मुस्कान उभर आई। उसने एक नज़र उसके छोटे, कांपते हाथ पर डाली, जो अब भी उसकी कलाई थामे हुए था।
मोक्ष ने अपने गर्म हाथ उसकी नन्ही कलाई पर रखे और कहा, "क्योंकि तुम्हारे बिना तुम्हारे दादा जी की जायदाद इन्हें नहीं मिलती, तुम्हें गोद लिया गया, क्योंकि उनकी दौलत का वारिस बनने के लिए एक बच्चा चाहिए था। लेकिन जैसे ही तुम अठारह की हुईं, सारी जायदाद तुम्हारे 'पिता' के नाम हो गई। अगर वे अचानक तुम्हें बाहर निकाल देते, तो दुनिया सवाल उठाती। इसलिए, उन्होंने तुम्हें अपने बॉयफ्रेंड के ज़रिए फंसाया और अब तुम्हें ठुकरा रहे हैं।"
उसकी बात सुनकर श्रावणी के दिल में सम्राट के लिए बची-खुची उम्मीद भी जलकर राख हो गई।
मोक्ष उसकी आँखों में देखते हुए आगे बढ़ा और कहा, "तुम्हें क्या लगता है, तुम्हारा बॉयफ्रेंड सम्राट तुमसे सच में प्यार करता था? वह तुम्हारे पैसों से प्यार करता था। यही तो फितरत होती है मिडिल क्लास परिवारों की, पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं।"
फिर उसने हल्की हंसी के साथ खुद का मज़ाक बनाया, "आयरनी देखो, पैसों के लिए तो मैं भी कुछ भी कर सकता हूँ….. लेकिन तुम्हारे बाप की तरह गिर नहीं सकता। जो मेरा है, उसे मैं छीन लेता हूँ। और जो मेरा नहीं….. उसे मैं धूल भी नहीं मानता।"
श्रावणी का गला सूख गया। उसने खुद को संभाला और पूछा, "मुझे क्या करना होगा?"
मोक्ष ने कंधे उचका दिए और कहा, "आधा घंटा दिया था तुम्हें सोचने के लिए, dearest wifey । शादी करनी है, बॉयफ्रेंड के पास जाना है, या फिर कुछ और सोचना है, फैसला तुम्हें करना है।"
श्रावणी ने गहरी सांस ली और अपनी आँखे बंद करली, जिनमे से आँसू की कुछ बूंद लुड़क गई और कहा, "मिस्टर मोक्ष… मेरे पास मेरी अडॉप्टेड फैमिली के अलावा कोई नहीं था। अब वे भी नहीं हैं। एक बॉयफ्रेंड था, जो दगाबाज़ निकला। अनाथालय से भी मेरा रिश्ता एक साल पहले ही खत्म हो चुका है। मैं अब अठारह से ऊपर हूँ, कानून मुझे उनकी मदद लेने का अधिकार नहीं देता।"
मोक्ष ने मज़ाकिया अंदाज में ताली बजाई और कहा, "वाह, कम से कम तुम्हारे अडॉप्टेड पेरेंट्स ने तुम्हें पढ़ाया-लिखाया तो सही। इतना तो सिखाया कि कानून क्या है और क्या नहीं। पर एक बात सुन लो, Dearest wifey….." फिर वह उसके करीब झुका और उसकी आँखों में झांककर कहा, "कानून मेरे मुताबिक चलता है, मैं कानून के मुताबिक नहीं। यहाँ कानून मेरे सामने झुकता है, और मैं किसी के सामने नहीं। मेरे सामने पुरा साम्राज्य झुकता है।"
श्रावणी ने अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं। उसकी आँखों में गुस्सा, दर्द और बेबसी थी। फिर, उसने धीमी आवाज़ में कहा, "मैं शादी के लिए तैयार हूँ।"
मोक्ष के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आ गई और बोला, "कांग्रेचुलेशन्स, मिसेज़ चंद्रवंशी! चलो, मंदिर में पंडित जी हमारा इंतज़ार कर रहे हैं।"
फिर उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया।
श्रावणी ने अपने नन्हे, काँपते हाथों को मोक्ष के मजबूत, चौड़े हाथ में रख दिया। उसकी हथेली मोक्ष की हथेली में इस तरह समा गई, जैसे वहां पहले से ही जगह तय हो।
और फिर, मोक्ष ने उसे लगभग खींचते हुए मंदिर की तरफ बढ़ा दिया, जहाँ उसकी किस्मत उसे एक ऐसे अंधकार से भरे उजाले की ओर ले जा रही थी, जिसका अंजाम वह खुद भी नहीं जानती थी। और ये रिश्ता एक डील से बढ़कर दिल का होने वाला था, जिसमे जुनून आग को टक्कर देने वाली थी। वो भी बहुअ जल्द!
वही दूसरी ओर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल,
शहर का सबसे बड़ा मैरिज हॉल रोशनी से जगमगा रहा था। वहाँ इस वक्त सामूहिक विवाह का आयोजन चल रहा था। सैकड़ों जोड़े शादी के बंधन में बंधने को तैयार थे। उन्हीं में से एक, टैग नंबर 36, जहाँ एक दुल्हन अपने लाल जोड़े में सजी खड़ी थी, खुद को आईने में देख रही थी।
दुल्हन का नाम था अफसाना, जो की साइड बोर्ड पर लिखा हुआ था। उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में एक अनजानी सी चमक थी, लेकिन मन में कई सवाल तैर रहे थे। उसने आईने से नज़रें हटाकर अपनी सहेली की ओर देखा, जो चश्मा लगाए हुए थी और बेसब्री से शादी की रस्में पूरी होने का इंतज़ार कर रही थी।
"पता नहीं बाकी सब कब आएंगे," अफसाना ने हल्की झुंझलाहट के साथ कहा।
सहेली ने हंसते हुए जवाब दिया, "चल छोड़, अफसाना! तेरी शादी है, और तू ही इतनी बेसब्र हो रही है। इतना एक्साइटेड क्यों रहती है तू हमेशा?"
अफसाना ने हल्की मुस्कान दी और झेंपते हुए कहा, "क्या करूँ यार, इतनी मुश्किल से तो यह शादी हो रही है….. मम्मी-पापा भी अचानक से छोड़कर कहीं चले गए।"
सहेली ने उसका हाथ थामकर कहा, "चिंता मत कर, वे स्टेज पर बात करने गए हैं। अगली शादी तेरी ही है, दूल्हा आता ही होगा। और वैसे भी, इतनी खूबसूरत दुल्हन को छोड़कर जाएगा भी तो कहाँ?"
अफसाना ने अपनी गुलाबी होंठों को गोल बनाते हुए हल्के गुस्से में कहा, "हुन्ह! मैं कोई हुस्न की परी नहीं हूँ कि वह कहीं और नहीं जाएगा। बस इतना चाहती हूँ कि वह मुझे छोड़कर न जाए।"
पर जैसे ही उसने ये कहा, अचानक गोलियों की आतिशबाजी से पूरा हॉल हिल उठा!
चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। लोग चिल्लाने लगे। अफसाना की हंसी घबराहट में बदल गई। उसके चेहरे का रंग उड़ गया। उसकी आँखें अपने माँ-बाप को तलाशने लगीं, लेकिन भीड़ में सब कुछ धुंधला लग रहा था।
तभी उसके करीब किसी के कदमों की आहट आने लगी! जो की तेज हो रही थी।
वो आहट….. जो तेज़ी से उसकी ओर बढ़ रही थी। वो आहट आकर बिलकुल उसके सामने ठहर गई।
अफसाना ने धीरे-धीरे ऊपर देखा। एक लंबा, गठीला शख्स उसके सामने खड़ा था। उसने काले कपड़े पहने थे, चेहरे पर मास्क था, आँखों पर काला चश्मा। उसकी मौजूदगी में एक अजीब-सा खौफ था, पर उससे भी ज्यादा, एक अजीब-सी शांति।
अचानक उस मुखोटे वाले ने उसने अपना हाथ उठाया और अफसाना की कलाई पकड़ ली!
अफसाना की साँस अटक गई।
"पंडित, अगली शादी हमारी होगी," वो आदमी ने ठंडे लेकिन मजबूत लहज़े में बोला।
उसकी आवाज इतनी ज्यादा डोमिनेटिंग थी कि चारों तरफ सन्नाटा छा गया।
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क्या होगा जब एक दिल पत्थर से बंध जायेगा? क्या मोक्ष कभी श्रवानी के दर्द को समझ पाएगा? क्या अफसाना का दूल्हा यही था, जिससे उसकी शादी तय हुई थी, या कोई और?और ये गोलियों की आवाज़, क्या ये सिर्फ धमकी थी, या कोई बड़ी साज़िश का इशारा?
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